सर्जरी की आवश्यकता
हाइटल हर्निया सर्जरी की आवश्यकता तब होती है जब:
- हर्निया बड़ा हो और लक्षण गंभीर हों।
- एसोफेगस को नुकसान पहुंचने का जोखिम हो।
- हर्निया के कारण आंतों की सप्लाई में रुकावट या खून की कमी हो।
- दवाईयाँ और जीवनशैली में परिवर्तन से लक्षणों में सुधार न हो।
हाइटल हर्निया की सर्जरी के प्रकार
हाइटल हर्निया की सर्जरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
- लैप्रोस्कोपिक रिपेयर: यह सबसे आम प्रक्रिया है। इसमें छोटे चीरों के माध्यम से कैमरा और सर्जिकल उपकरण डाले जाते हैं। इस प्रक्रिया से रोगी को कम दर्द होता है, जल्दी ठीक होता है, और निशान भी कम होते हैं।
- ओपन सर्जरी: यदि लैप्रोस्कोपिक सर्जरी संभव न हो, तो ओपन सर्जरी की जाती है। इसमें पेट में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है ताकि सर्जन को हर्निया और उसके आसपास के ऊतकों तक बेहतर पहुँच मिल सके।
हाइटल हर्निया की सर्जरी की प्रक्रिया
- आमतौर पर सामान्य एनेस्थीसिया: रोगी को सर्जरी के दौरान सोया जाता है।
- चीरा और पहुंच: लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में छोटे चीरे और कैमरा के माध्यम से, जबकि ओपन सर्जरी में बड़े चीरे के माध्यम से हर्निया तक पहुंचा जाता है।
- हर्निया की मरम्मत: सर्जन हर्निया को उसके मूल स्थान पर वापस धकेलता है और डायाफ्राम के खुलाव को छोटा करने के लिए सिलाई करता है। कभी-कभी, एक मेश का उपयोग करके इस क्षेत्र को मजबूत बनाया जाता है।
- बंद करना: चीरों को बंद किया जाता है और उपचार प्रक्रिया शुरू होती है।
हाइटल हर्निया का उपचार और जोखिम
सर्जरी के बाद रोगी को आमतौर पर कुछ दिनों के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है। उपचार की अवधि और देखभाल में दर्द प्रबंधन, घाव की देखभाल, और धीरे-धीरे आहार में सामान्य खाना शामिल होना चाहिए। संक्रमण, खून बहना, और अन्य संभावित जोखिम भी हो सकते हैं, इसलिए नियमित चिकित्सकीय निगरानी जरूरी होती है।
हाइटल हर्निया की सर्जरी एक प्रभावी उपचार हो सकता है, खासकर जब अन्य उपचार विकल्प काम नहीं करते। यह न केवल लक्षणों को कम करता है बल्कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार भी करता है।