हाइटल हर्निया एक आम पेट की समस्या है, जिसमें पेट का एक हिस्सा डायाफ्राम के माध्यम से ऊपर की ओर सरक जाता है। यह स्थिति तब होती है जब डायाफ्राम में मौजूद हाइटस नामक खुलाव में असामान्य ढंग से विस्तार हो जाता है। डायाफ्राम पेट और छाती के बीच की मांसपेशी होती है और हाइटस वह स्थान होता है जहां एसोफेगस (खाने की नली) पेट से जुड़ती है। इस लेख में हम हाइटल हर्निया होने के कारणों की विस्तार से चर्चा करेंगे।
डायाफ्राम की कमजोरी
सबसे प्रमुख कारण है डायाफ्राम के आस-पास की मांसपेशियों में कमजोरी। उम्र बढ़ने के साथ, डायाफ्राम की मांसपेशियाँ कमजोर पड़ सकती हैं, जिससे हाइटस में विस्तार हो सकता है और पेट के ऊपरी हिस्से को ऊपर खींच सकता है।
अतिरिक्त दबाव
शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ना भी हाइटल हर्निया का कारण बन सकता है। इसमें शामिल है:
- मोटापा: शरीर का अतिरिक्त वजन डायाफ्राम पर दबाव डाल सकता है।
- गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान गर्भ के बढ़ने से पेट पर दबाव पड़ता है।
- भारी वस्तुओं को उठाना: भारी वस्तुओं को उठाने से पेट में दबाव पड़ता है।
- लगातार खांसी या उल्टी: ये क्रियाएँ भी डायाफ्राम पर असाधारण दबाव डालती हैं।
आनुवंशिकता
कुछ मामलों में, हाइटल हर्निया की प्रवृत्ति आनुवांशिक हो सकती है। यदि परिवार के अन्य सदस्यों को यह समस्या हुई है, तो आपको भी होने का जोखिम अधिक हो सकता है।
जीवनशैली संबंधी कारण
धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, और उच्च वसा युक्त आहार भी हाइटल हर्निया के विकास में योगदान दे सकते हैं। इन आदतों से पेट के एसिड का स्तर बढ़ सकता है और डायाफ्राम के आसपास की मांसपेशियों पर अतिरिक्त तनाव पड़ सकता है।
हाइटल हर्निया विभिन्न कारणों से हो सकता है जैसे कि डायाफ्राम की कमजोरी, शरीर पर अतिरिक्त दबाव, आनुवंशिकता, और जीवनशैली संबंधी कारण। इसकी पहचान और समय पर उपचार से इसके गंभीर प्रभावों को रोका जा सकता है। यदि आपको हाइटल हर्निया के लक्षण महसूस होते हैं, तो चिकित्सकीय सलाह लेना उचित होगा।